ISBN: 81-7019-529-9,9788170195290
Year: 2016
Binding: Hardbound
Language: Hindi
Total Pages: 292
इन्डियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी के तत्वाधान में दिनांक 23-27 फरवरी, 2016 को भारतीय पादप रोग विज्ञान का छठवां अर्न्तराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिक, पादप रोग एवं उनके निवारण पर चर्चा करेंगे अर्न्तराष्ट्रीय सम्मेलन में मानव जाति के कल्याण के लिए फसल, रोगजनकों एवं जनसमुदाय में पादप रोग विज्ञान के योगदान पर विशेष चर्चा की जाएगी। इन्डियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी भारत की एक ऐसी संस्था है जो पौधों की रोगों से सुरक्षा विषय पर अग्रणी योगदान कर रही है। फसलों, फलों, सब्जियों में रोगों द्वारा काफी हानि होती है। भारतीय अनुसन्धान परिषद के संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में पादप रोगों पर अनेक अनुसन्धान हुए हैं, जिसकी जानकारी किसानों तक पहुँचनी चाहिए। इन्डियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी ने इस विश्व सम्मेलन के अवसर पर न सिर्फ राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का ध्यान रखा है बल्कि हिंदी में प्रकाशन कर नई सोच रखी है तथा हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ाते हुए किसानों का भी ध्यान रखा है। अतः इंडियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी यह प्रयास कर रही है कि हिंदी में किसान उपयोगी जानकारी एकत्र कर किसानों तक पहुँचा सके। इन्डियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी के सदस्य वैज्ञानिकों ने इस अवसर पर एक अनूठा प्रयास किया है। विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने किसानों के लाभार्थ "पादप रोगों की चुनौतियाँ एवं समाधान"
" विषय पर सरल भाषा में नई तकनीकों की जानकारी एकत्र कर एक पुस्तक तैयार की है। यदि कटाई / तुडाई पूर्व या कटाई / तुडाई उपरांत फसल को रोगों से बचाया जाता है तो कुल उत्पादन को काफी बढ़ाया जा सकता है तथा बढ़ती हुई आबादी की भोजन की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इस पुस्तक में फल फसलों, सब्जियों, औषधीय व सुगंधीय फसलों, शोभाकारी फसलों, दलहनीय, तिलहनीय फसलों तथा गेहूँ, चान गन्ना आदि प्रमुख फसलों के रोगों तथा उनके प्रबंधन के विषय में जानकारी दी गई है। जैविक नियंत्रक का ग्रामीण स्तर पर उत्पादन तथा उसके द्वारा उपचार के विषय में भी जानकारी दी गई है। कृषक मशरूम की खेती द्वारा भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं। आशा है की यह पुस्तक किसानों बागवानों, फसल सुरक्षा अधिकारी एवं विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगी। इन्डियन फाइटोपैथोलोजिकल सोसाइटी उन सभी वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त करती हैं, जिन्होंनेइस पुस्तक के लिए अपने लेख भेजे हैं।