ISBN: 8170194660,9788170194668
Year: 2012
Binding: Hardbound
Language: Hindi
Total Pages: 167
कर्तित फूलों की उन्नत खेती करने से सम्बंधित सभी पहलुओं पर आवश्यक वैज्ञानिक व तकनीकी जानकारी प्रदान करने वाली पुस्तक का विशेषकर हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी के माध्यम से हमेशा अभाव रहा है। हमने प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से इस अभाव को ध्यान में रखते हुए पूरा करने का एक प्रयास किया है। इस पुस्तक में सी एस. आई. आर. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) के वैज्ञानिकों के शोध के निष्कर्ष का भी वर्णन करने की कोशिश किया है। इस पुस्तक में विशेष तौर पर कर्तित पुष्पों की उत्पादन की तकनीक, पादप सुरक्षा के उपायों, पुष्पों एवं पौध सामग्री का रख-रखाव का विस्तृत वर्णन किया है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक "पुष्प उत्पादन की तकनीक कर्तित पुष्पोत्पादन पर ज्ञान अर्जित करने के इच्छुक व्यक्तियों जैसे: पुष्प उत्पादकों, छात्रों, उद्यान एवं बागवानी विभाग के कर्मचारियों, प्रसार कार्यकर्त्ताओं, अध्यापकों, शोधकर्त्ताओं, विर्त्तिय संस्थानों से जुड़े व्यक्तियों, आदि के लिए पठन एवं उपयोगी सामग्री के रुप में सहायक सिद्ध होगी।
डा. मारकण्डेय सिंह
डा. मारकण्डेय सिंह ने अपना कैरियर उद्यान विभाग राजा बलवन्त सिंह कालेज बिचपुरी, आगरा (उ.प्र.) में पी. एच. डी के छात्र के रूप में ग्लेडियोलस पुष्प से जुड़े फिर पुष्प एवं भूदृश्य निर्माण संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा), नई दिल्ली में कन्दीय वर्ग (बल्बस) के फूलों पर शोध कार्य आरम्भ किया। तदुपरान्त सी. एस. आई. आर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर (हिप्र) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हुआ पिछले लगभग 11 वर्षों से व्यावसायिक फूलों की खेती करने की तकनीक को विकसित करने हेतु शोध कार्य कर रहा हूँ। प्रशिक्षण के माध्यम से इस तकनीक को जन-जन तक पहुँचाया जिससे बहुत से लाभार्थी अच्छी धनराशि अर्जित कर रहे हैं। इसी कड़ी में इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा मिली।
संजय कुमार
संजय कुमार ने कृषि में स्नातक की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय (उ.प्र.) तथा स्नातकोतर की डिग्री उद्यान विभाग कुलभास्कर आश्रम डिग्री कालेज, इलाहाबाद (उ.प्र.) से प्राप्त करने के उपरान्त अपने कैरियर की शुरुआत कृषि विज्ञान केन्द्र, रामकृष्ण मिशन आश्रम, राँची में शिक्षक के रूप में शुरु किया। इसके उपरान्त सी.एस.आई. आर-आई. एच. बी. टी. पालमपुर (हि.प्र.) में तकनीकी पद पर कार्यरत हुआ। पिछले लगभग 11 वर्षों से फूलों पर चल रहे शोध कार्य से जुड़ा हुआ हूँ।
डा. परमवीर सिंह आहूजा
डा. परमवीर सिंह आहूजा, पिछले 14 वर्षों से सी.एस. आई. आर-आई.एच.बी.टी. में निदेशक के पद आसीन हैं। उन्होंने भारत में सर्वप्रथम प्रोटोप्लास्ट तकनीक का शुभारम्भ किया तथा पुदीना की एक नई किस्म की खोज किया जिससे देश में मिन्ट आयल के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वह उत्तक संवर्धन तकनीक को जन-जन तक पहुँचाने के उददेश्य से हमेशा ही सहजता एवं सरलता के साथ प्रयासरत रहे हैं। यह संस्थान फूलों की व्यावसायिक खेती करने के लिए तकनीक को विकसित करने का कार्य कर रहा है। इसी दौरान उन्होंने यह महसूस किया कि इस महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रभाषा हिन्दी में फूलों की व्यावसायिक खेती करने की तकनीक पर आधारित एक पुस्तक लिखी जाए तो यह प्रयास किया गया जो अपने प्रथम संस्करण के रूप में आपके पास प्रस्तुत है। आशा करते हैं कि यह आपकी अपेक्षाओं पर पूरा उतरेगा।